काशी तालाब
महिशावती की ख्याति सुनकर काशी नरेश पुष्कर ने यहां ( काशीतालाब ) आकर पुष्करनाथ शिवलिंग की स्थापना की स्थापना कर शिवलिंग का विधि विधान पूर्वक अनुष्ठान किया था । पुष्करनाथ शिवलिंग के प्रभाव के विषय में
पयोष्णी महात्म्य - में लिखा है। की कार्तिक पूर्णिमा को पुष्करनाथ शिवलिंग के दर्शन मात्र से जन्म जन्मांतरों के पाप नष्ट हो जाते है। जबकि पुष्कर तीर्थ (काशी तालाब ) में स्नान करने मात्र से दस जन्मो के पाप नष्ट हो जाते है।
बारह लिंग की स्थापना -
इस स्थान ( काशी तालाब ) पर श्री विश्रवा मुनि (रावण के पिता ) द्वारा स्थापित द्वादस ( बारह ) शिवलिंग आज भी विद्यमान है। इसी स्थान के ईशान कोण की ओर पुलस्त्य मुनि ने भी तप किया था ।
तालाब और ग्राम का नाम करण -
राजा काशी से आये थे इसलिए सरोवर ( तालाब ) का नाम काशी तालाब हो गया । एवं राजा का नाम पुष्कर था इसलिए समीपस्थ ग्राम का नाम पुष्करणी हो गया । जिसे वर्तमान में पोखरनी कहाँ जाता है।
महिशावती की ख्याति सुनकर काशी नरेश पुष्कर ने यहां ( काशीतालाब ) आकर पुष्करनाथ शिवलिंग की स्थापना की स्थापना कर शिवलिंग का विधि विधान पूर्वक अनुष्ठान किया था । पुष्करनाथ शिवलिंग के प्रभाव के विषय में
पयोष्णी महात्म्य - में लिखा है। की कार्तिक पूर्णिमा को पुष्करनाथ शिवलिंग के दर्शन मात्र से जन्म जन्मांतरों के पाप नष्ट हो जाते है। जबकि पुष्कर तीर्थ (काशी तालाब ) में स्नान करने मात्र से दस जन्मो के पाप नष्ट हो जाते है।
बारह लिंग की स्थापना -
इस स्थान ( काशी तालाब ) पर श्री विश्रवा मुनि (रावण के पिता ) द्वारा स्थापित द्वादस ( बारह ) शिवलिंग आज भी विद्यमान है। इसी स्थान के ईशान कोण की ओर पुलस्त्य मुनि ने भी तप किया था ।
तालाब और ग्राम का नाम करण -
राजा काशी से आये थे इसलिए सरोवर ( तालाब ) का नाम काशी तालाब हो गया । एवं राजा का नाम पुष्कर था इसलिए समीपस्थ ग्राम का नाम पुष्करणी हो गया । जिसे वर्तमान में पोखरनी कहाँ जाता है।